Sangeeta

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लेखनी प्रतियोगिता -04-Dec-2021 स्वर्ण कलश


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न जाने कैसे
सांचे में ढल गये,

संघर्षों की तपती धूंप में---
पांव भी जल गये,

हम थे अर्श की मिट्टी---
क्या जादू चला दिया,

हे प्रभु आपने श्रेष्ठ---            
मानव बना दिया,

जीवन के संघर्ष परिणाम रूप है,
कभी छांव घनेरी कभी कड़ी धूंप है,

तुम चाहो तो राई को भी सुमेरु कर दो,
एक चाक चलाकर मिट्टी में भी, स्वर्ण कलश गढ दो,
  
हे प्रभु आपकी कृपा अपार हो,
आने वाले कल में मधुर व्यवहार हो,

 
Sangeeta Verma✍️✍️

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9 Comments

Niraj Pandey

05-Dec-2021 09:16 PM

बहुत खूब👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

05-Dec-2021 01:42 AM

बहुत खूबसूरत

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